Diwali 2024 : दिवाली एक धार्मिक त्योहार है जो अंधकार पर रोशनी की विजय या फिर पाप पर धर्म की विजय के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सभी लोग बहुत सारी रोशनी करते हैं और अपनी खुशी जताते हैं कि उन्होंने अंधकार पर अपनी विजय प्राप्त कर ली है।
इस त्यौहार को मुख्यतः हिंदू और जैन धर्म के लोग मनाते हैं । दीपावली के दिन बहुत से देशों जैसे भारत, नेपाल , श्रीलंका और सिंगापुर आदि देशों में राष्ट्रीय अवकाश भी रहता है। वैसे तो मुख्यत है यह भारत में मनाया जाता है लेकिन भारत के बाहर कुछ स्थानों पर यह त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
यह त्यौहार 5 दिनों का त्यौहार होता है जो हिंदू लोग मनाते हैं। यह 5 दिन है धनतेरस, नरक चतुर्थी, अमावस्या, कार्तिक सुधा पदमी, यम द्वितीया या फिर भाई दूज। इसमें धनतेरस अश्विन माह के पहले दिन का त्यौहार है और भाई दूज कार्तिक माह के अंतिम दिन का त्योहार है।
Diwali को लोग बड़े हर्षोल्लास और रोशनी के साथ, अपनों के साथ प्यार से बैठकर, आपस में मिलकर, भाईचारा बनाकर, एक दूसरे को मिठाइयां खिलाकर, घर में रोशनी फैलाकर और आजकल मोबाइल से एसएमएस भेजकर, बहुत से रंगोलियां बनाकर बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
आपको बता दें कि दीपावली के दिन की तारीख जो भी होती है वह हिंदू चंद्र सौर कैलेंडर के अनुसार निर्धारित की जाती है और इसी दिन बड़े हर्षोल्लास के साथ दीवाली के त्यौहार को मनाया जाता है। यह अलग अलग गतिविधियों के द्वारा मनाया जाता है, यानी कि इनको मनाने की विधि अलग-अलग होती है।
अलग-अलग परिवारों में इसे अलग अलग तरीके से मनाया जाता है लेकिन लगभग यह गतिविधियां एक समान ही होती है । अब चलिए हम आपको बताते है कि Diwali की पूजा यानी लक्ष्मी पूजा और गणेश पूजा कब की जाएगी और गणेश जी की आरती और लक्ष्मी जी की आरती कब की जाएगी 2022 में।
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दिवाली क्यों मनाई जाती है?
दिवाली या फिर Diwali को हर साल मनाया जाता है और यह मुख्यत है हिंदुओं और अन्य धर्मों के द्वारा मनाया जाता है। इस त्यौहार में लोग अपने घरों की सफाई करके बड़े अच्छे से मनाते हैं क्योंकि उनका मानना है कि घर की सफाई करते हैं हमारे जो अवगुण हैं वह बाहर चले जाते हैं।
यानी कि घर की सफाई के साथ-साथ वह अपने अंदर छुपे अंधकार, अंदर छुपे शैतानी दिमाग को भी साफ करते हैं ताकि वह अच्छा काम कर पाए। हिंदू मान्यता के अनुसार Diwali का त्योहार मनाने में बहुत से कारण छुपे हुए हैं।
वह अलग-अलग कारणों के चलते मनाते हैं। तो चलो वह कारण हम आपको बताते हैं।
दीपावली मनाने के हिंदू पौराणिक और ऐतिहासिक कारण
हिंदू मान्यता के अनुसार Diwali का त्योहार मनाने में बहुत से कारण छुपे हुए हैं। वह अलग-अलग कारणों के चलते मनाते हैं। तो चलो वह कारण हम आपको बताते हैं। चलो हम जानते है दीपावली मनाने के हिंदू पौराणिक और ऐतिहासिक कारण ।
दीपावली मनाने के हिंदू पौराणिक कारण
Diwali मनाने की हिंदू पौराणिक कारण इस प्रकार है…
रावण वध और श्रीराम का आगमन
हिंदू महाकाव्य रामायण के अनुसार जब लंका में राम और रावण का युद्ध हुआ था। तब उसमें रावण वध करके श्री राम ने रावण पर विजय कर लेती है और अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष के बाद अयोध्या लौटे थे।
इसी खुशी में अयोध्या वासियों ने अपने घरों में सजावट की थी और साथ ही साथ मिट्टी के दीए जलाकर खुशियां मनाई थी। हिंदू लोग उसी दिन को याद करते हुए आज भी Diwali के रूप में खुशियां मनाते हैं ।
भगवान विष्णु द्वारा लक्ष्मी जी को बचाना
हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार एक महान राक्षस दानव हुआ था राजा बलि या फिर उसे बाली भी कहा जाता है। उसने तीनों लोगों को अपने अधिकार में कर लिया था और उसका मालिक बन बैठा था। भगवान विष्णु से उसे कई शक्तियां प्राप्त थी जिसके चलते उसने तीनों लोग को अपने वश में कर लिया था और उनका स्वामी बन चुका था।
पूरे विश्व में गरीबी छा गई थी, क्योंकि राजा बाली ने सारी संपत्ति को अपने अधिकार में ले लिया था, क्योंकि उसने माता लक्ष्मी को अपने अधिकार में ले रखा था। पूरे ब्रह्मांड को बचाने के लिए, पूरे ब्रह्मांड के नियम को जारी रखने के लिए भगवान विष्णु ने तीनों लोग को बचाया था।
भगवान विष्णु ने अपने वामन अवतार यानी पांचवी अवतार में और देवी लक्ष्मी को उसके जेल से छूट आया था। तब से यह दिन बुराइयों की सतह पर भगवान विष्णु की जीत के रूप में और देवी मां लक्ष्मी की रिहाई के रूप में Diwali के अवसर पर बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है ।
मां लक्ष्मी का जन्म
हिंदुओं की मान्यता अनुसार देवी लक्ष्मी को धन समृद्धि का प्रतीक माना जाता है और इसी कारण सभी लोग धन प्राप्ति के लिए माता लक्ष्मी का व्रत करते हैं उनकी पूजा करते हैं। आपको पता है कि हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार राक्षस और देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।
यानी क्षिर सागर का मंथन किया था और उसी मंथन से देवी लक्ष्मी प्रगट हुई थी। यानी अमावस्या के दिन जो कार्तिक महीने में था। उसी दिन लष्मी जी ब्रह्मांड में प्रगट हुई थी और इसी कारण इस दिन को माता लक्ष्मी के जन्मदिन के उपलक्ष में Diwali के त्यौहार के रूप में मनाया जाने लगा।
नरकासुर वध
हिंदू कथाओं के अनुसार बहुत पहले एक नरकासुर नाम का राक्षस हुआ करता था जो प्रदोषपूरम में राज्य क्या करता था और उन्होंने अत्याचार की सपने सभी सीमाएं पार कर दी थी। उसने अपनी जेल में 16000 औरतों को बंदी बनाकर रखा था।
भगवान कृष्ण को जब इस बात का पता चला तो भगवान कृष्ण ( यानी विष्णु के आठवें अवतार ) ने सभी औरतों को नरकासुर की कैद से छुड़ाने के लिए नरकासुर का वध किया था । उसी दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में इस उपलक्ष को मनाया जाता है।
यह मुख्य Diwali से 1 दिन पहले यानी नरक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है।
दीपावली मनाने के ऐतिहासिक कारण
Diwali मनाने के ऐतिहासिक कारण इस प्रकार है…
विक्रमादित्य का राज्याभिषेक
राजा विक्रमादित्य एक महान हिंदू राजा था और इस दिन राजा विक्रमादित्य का राज्यभिषेक हुआ था और उसी दिन को Diwali के रूप में उनके चाहने वालों ने मनाना शुरू कर दिया।
पांडवों की राज्य वापसी
हिंदू महाकाव्य महाभारत के अनुसार जब कौरव से पांडव जुए में हार गए थे तो उन लोगों को 12 वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया गया था अपने ही राज्य से। लंबे समय बाद यानी 12 वर्ष बाद कार्तिक महीने की अमावस्या को पांडव जब अपने राज्य लौटे तो बहुत खुशी मनाई गई, उनके चाहने वालों के द्वारा।
लोगों ने अपने घरों में मिट्टी के दीपक जला कर पटाखे जलाकर पांडवों के वापस लौटने में खुशियां मनाई Diwali के रूप में।
गुजरातियों के लिए नया साल
चंद्र कैलेंडर के अनुसार कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष के पहले दिन दीपावली के 1 दिन बाद गुजराती अपना नए साल का जश्न मनाते हैं।
मारवाड़ी का नया साल
हिंदू कैलेंडर के अनुसार आश्विन कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन मारवाड़ी लोग अपने इस हिंदू त्योहार Diwali पर अपने नए साल का जश्न भी मनाते हैं ।
जैनियों के लिए विशेष दिन
महावीर जिन्होंने आधुनिक जैन धर्म की स्थापना की थी। उन्होंने इस विशेष दिन दीपावली पर अपने निर्वाण की प्राप्ति की थे और इसी उपलक्ष में जैनियों द्वारा यह दिन दीपावली के रूप में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
दीवाली कब मनाई जाती है?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार अश्विन के महीने में कृष्ण पक्ष की के 13 वें दिन दीपावली के रूप में मनाया जाता है। यह परंपरागत रूप से हर साल के मध्य अक्टूबर या मध्य नवंबर में दशहरे के 18 दिन बाद हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है । यह हिंदुओं का मुख्य त्योहार है।
वैसे तो पूरे भारत में यह 5 दिनों का त्योहार है । धनतेरस से लेकर भाई दूज तक का , लेकिन कुछ स्थानों जैसे कि महाराष्ट्र में यह 6 दिन का भी होता है। यह अपने साथियों के साथ मनाया जाता है। इसी दिन राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाता है ताकि लोग अच्छे से Diwali के त्यौहार का आनंद ले सकें।
दीवाली का महत्व
दीपावली 1 हिंदू त्यौहार है जो हर हिंदू द्वारा बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। दीवाली वैसे तो 5 दिनों का त्योहार है। जैसा कि आपने पहले पढ़ा लेकिन कुछ स्थानों जैसे महाराष्ट्र में 6 दिनों का मनाया जाता है और इन 5 दिनों को हिंदू लोग बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।
लोग मिठाइयां खरीदते हैं, कपड़े खरीदते हैं, घरों की सफाई करते हैं, घरों में रोशनी करते हैं, Diwali के दिन मां लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है। इस दिन का बहुत बड़ा महत्व है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इन दिनों में घरों में सुख समृद्धि शांति सब कुछ आता है।
हिंदू लोग इस त्यौहार के आने का बेसब्री से इंतजार करते हैं और जब यह त्यौहार आता है, तब लोग कुछ ना कुछ नए काम की शुरुआत करते हैं। वह यह कामना करते हैं कि अगर इस त्यौहार के दिन अपने काम की शुरुआत की जाए तो वह काम बहुत आगे बढ़ता है और उन्हें बहुत फायदा होता है।
Diwali २०२4 में कब मनाई जाएगी?
- धनतेरस – शनिवार 22 अक्टूबर 2024
- नरक चतुर्थी यानी छोटी दीपावली – रविवार 23 अक्टूबर 2024
- Diwali 2024 – सोमवार 24 अक्टूबर 2022
- लक्ष्मी पूजा यानी मुख्य दीपावली – सोमवार 24 अक्टूबर 2024
- बाली प्रतिस्पर्धा यानी कि गोवर्धन पूजा – मंगलवार 25 अक्टूबर 2024
- यम द्वितीय यानी भाई दूज – बुधवार 26 अक्टूबर 2024
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निष्कर्ष – Diwali Kab Aur Kyon Manate Hai
”तो अब आप लोगों को पता चले गया होगा कि Diwali क्या है ? क्यों मनाया जाता है ? कब मनाया जाता है ? दीवाली के बारे में आपको पूरी जानकारी मिल गई होगी”
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