रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? Raksha bandhan 2024

Raksha bandhan 2023 – रक्षाबंधन का त्योहार  हम हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाते हैं, लेकिन क्या आपको यह पता है यह धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला त्यौहार रक्षाबंधन क्यों मनाते हैं? अगर नहीं पता तो आप इस आर्टिकल को पढ़ते रहिए । आज के आर्टिकल में हम आपको बताने वाले हैं कि आखिर का रक्षाबंधन के पीछे की कहानी क्या है?

रक्षाबंधन क्यों मनाते हैं? रक्षाबंधन का इतिहास क्या है? सारी जानकारी इस आर्टिकल में आपको मिल जाएगी ।

रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? Raksha bandhan 2022
रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? रक्षा बंधन 2023 Rakshabandhan ki puri jankari

रक्षाबंधन के बारे में आपको यह तो पता ही होगा कि इस दिन बहिन अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधती है और उससे वचन  लेती है की उम्र भर तुम मेरी रक्षा करोगे और भाई भी बड़ी खुशी के साथ अपनी बहना को कुछ उपहार  देते हुए यह वचन देता है की चाहे किसी भी प्रकार की मुसीबत आये  मैं  हमेशा  तुम्हारी रक्षा करूंगा । इस प्रकार यह भाई बहन का बड़ा ही  खूबसूरत त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ हर भारतवासी मनाता है ।

जिस बहन की शादी हो चुकी होती है वह अपनी ससुराल से अपने भाई को राखी बांधने के लिए अपने पापा के घर या भाई के घर  आती है और अपने भाई को रक्षाबंधन के दिन बड़े प्यार से राखी बाँधती है । जब कोई बहिन अपने भाई को राखी बाँधती है  वो दृश्य देखने लायक होता है ।  उस दृश्य को देखने के बाद मन बाग बाग हो जाता  है ।

विषय सूची

रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है ? Rakhsha bandhan kyo manaya jata hai ?

रक्षाबंधन का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ?  इसके पीछे काफी मतभेद है । रक्षाबंधन का त्यौहार मनाने  की बहुत सी कहानियां हैं तो चलिए हम आपको बताते हैं कि रक्षाबंधन मनाने की कौन-कौन सी कहानियां है या फिर रक्षाबंधन मनाने का क्या-क्या इतिहास रहा है वह सब कुछ आपको बताते हैं  ।

रक्षाबंधन बनाने के पीछे पुरानी कहानियां

रक्षाबंधन बनाने की वजह, एक कहानी नहीं है। बहुत सारी कहानियां है और सभी कहानियों के पीछे कोई न कोई ठोस वजह दी गई है। यहां पर आप लोगों के लिए हमने रक्षाबंधन से जुड़ी सभी कहानियां और उसके पीछे की वजह बताई है। तो आप एक-एक करके सभी कहानियों को पढ़ सकते हो।

महाराजा बलि और माता  लक्ष्मी की  कहानी के अनुसार 

माना जाता है कि एक बार भगवान विष्णु और महाराजा बलि के बीच में युद्ध होने लगा । इस युद्ध का परिणाम यह रहा कि भगवान विष्णु ने महाराजा बलि को हराकर तीनो लोक पर अपना अधिकार कर लिया ।  इसके पश्चात महाराजा बलि  ने भगवान विष्णु से आग्रह किया कि आप मेरे साथ में मेरे राजमहल में रहो तो भगवान विष्णु नेे महाराजा बलि की बात मान ली और उनके साथ उनके राजमहल में अपनी धर्मपत्नी माता लक्ष्मी के साथ रहने लगे ।

लेकिन माता लक्ष्मी को कुछ दिन वहां रहने के बाद ऐसा लगा की यहां पर भगवान विष्णु का रहना सही नहीं है और माता लक्ष्मी को भगवान विष्णु और महाराजा बलि की मित्रता पसंद नहीं आई ।माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु के साथ अपने बैकुण्ठ जाने का निश्चय किया लेकिन भगवान विष्णु राजा बलि को वचन दे चुके थे उनके राजमहल में ही रहेंगे । इस बात को देखते हुए माता लक्ष्मी ने महाराजा बलि को अपना भाई बनाकर उनकी कलाई पर एक रक्षा कवच के रूप में एक रक्षा का धागा बांधा ।

इससे खुश होकर महाराजा बलि ने माता लक्ष्मी को कहा कि आपने मुझे अपना भाई कहा है आप मुझसे इस  रक्षा का धागा मेरी कलाई पर बांधने के फलस्वरूप जो कुछ भी मांगोगे वह मैं आपको जरूर दूंगा । इस पर माता लक्ष्मी ने महाराजा बलि से कहा कि आप मुझे और भगवान विष्णु को हमारे बैकुण्ठ में जाने दे । महाराजा बलि ने भी ऐसा ही किया और अपना वचन भगवान विष्णु से वापस ले लिया और  उनको अपने बैकुण्ठ रवाना कर दिया । इसलिए लोग आज रक्षाबंधन का त्यौहार मनाते हैं  । यह जो बात हमने आपको बताई है यह भगवत पुराण और विष्णु पुराण में लिखी हुई है ।

द्रोपती और श्री कृष्ण की कहानी के अनुसार

महाभारत के अनुसार एक बार श्री कृष्ण ने शिशुपाल नामक एक राजा का अपने सुदर्शन चक्र के द्वारा वध किया था । जैसे ही सुदर्शन चक्र श्री कृष्ण ने अपनी उंगली के द्वारा चलाया तो श्री कृष्ण की उंगली थोड़ी सी कट गई और उनकी उंगली से खून बहने लगा  जब श्री कृष्ण की अंगुली से खून बहता हुआ द्रोपती नहीं देखा तो द्रोपती ने तुरंत अपनी साड़ी फाड़ी और साड़ी से एक पट्टी बनाकर श्री कृष्ण की उंगली पर बांधदी ।

इसके बाद श्री कृष्ण ने द्रोपती को यह वचन दिया कि जो भी तुम पर भविष्य में किसी भी प्रकार की मुसीबत आएगी तो मैं तुम्हारी रक्षा करूंगा और इसी वचन की लाज रखने के लिए श्री कृष्ण ने द्रोपती के चीर हरण के वक्त अपनी उंगली से द्रोपती को साड़ी प्रदान की थी । इसी कथा के अनुसार आज हम रक्षाबंधन का त्योहार मनाते हैं ।

इंद्र देव की कहानी के अनुसार

भविष्यत् पुराण मैं एक कथा का वर्णन मिलता है । उसका कथा के अनुसार एक बार इंद्रदेव और असुरों में युद्ध होने लगता है और असुरों के राजा बलि के द्वारा इंद्रदेव की हार हो जाती है । इंद्रदेव का जो अरावती हाथी होता है वह असुरों के राजा बलि के कब्जे में आ जाता है। इसी को देखते हुए इंद्रदेव की पत्नी सची ने भगवान विष्णु से मदद मांगी और भगवान विष्णु ने इंद्रदेव की पत्नी को एक सूती धागा दिया और वह धागा इंद्रदेव की पत्नी ने इंद्रदेव की कलाई पर बांध दिया ।

उसके बाद इंद्रदेव ने फिर से असुरों के साथ युद्ध किया और युद्ध में इंद्रदेव ने असुरों के राजा बलि को हरा दिया । इसके बाद अपना अरावती हाथी वापस ले लिया । तब से पत्नी अपने पति को सुरक्षित रखने के लिए उनकी कलाई पर एक सूती धागा बानती है। इस प्रकार रक्षाबंधन का त्योहार सिर्फ भाई-बहन तक ही सीमित नहीं रहा । इस कहानी के अनुसार भी आज रक्षाबंधन का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है ।

यम और यमुना की कहानी के अनुसार

एक और पौराणिक कथा के अनुसार मृत्यु के देवता यमराज जब अपनी बहीन यमुना से 12 वर्षों तक नहीं मिले, तब इससे दुखी होकर यमुना ने यह बात माता गंगा को बताएं और माता गंगा ने इसकी खबर मृत्यु के देवता यमराज तक पहुंचाई । उसके बाद मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन से मिलने के लिए उनके पास पहुंचे । मृत्यु के देवता यमराज और अपने भाई को अपने पास आया देखकर यमुना बहुत ही खुश हुई ।

यमुना ने यमराज को अपने पास बिठाकर तरह-तरह के व्यंजन यमुना ने अपने भाई मृत्यु के देवता यमराज के लिए बनाए और उन्हें खिलाया भी । इससे प्रसन्न होकर मृत्यु के देवता यमराज ने अपनी बहन से मनचाहा वर मांगने को कहा । उसके बाद यमुना ने वर मांगा कि आप मुझसे आगे भी मिलने आया करो । इसको देखते हुए मृत्यु के देवता यमराज ने यमुना को अमरत्व का वरदान दे दिया । इस घटना को भी भाई-बहन के अटूट प्रेम के साथ जोड़कर रक्षाबंधन के त्यौहार के रूप में देखा जाने लगा ।

संतोषी माता की कहानी के अनुसार

भगवान गणेश के 2 पुत्र थे शुभ और लाभ, लेकिन उनके कोई भी पुत्री नहीं थी यानी कि शुभ और लाभ के कोई भी बहन नहीं थी । इसलिए शुभ और लाभ मैं बहन की कमी बहुत ही खलती थी । वह अपनी बहन के साथ रक्षाबंधन बनाना चाहते थे । बहन के साथ खेलना चाहते थे । इन दोनों भाइयों ने गणेश जी से एक बहन की मांग की । कुछ समय के बाद भगवान नारद ने भी गणेश जी को पुत्री के विषय में कहा ।

इस पर भगवान गणेश राज़ी हुए और उन्होंने एक पुत्री की कामना की । भगवान गणेश की दो पत्नियों रिद्धि और सिद्धि, की दिव्य ज्योति से माँ संतोषी का जन्म हुआ । इसके बाद शुभ और लाभ अपनी बहन यानि माता संतोषी के साथ रक्षाबंधन का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया ।

रक्षाबंधन का इतिहास (The Raksha bandhan  History)

आपको बता दें कि विश्व इतिहास में रक्षाबंधन का बहुत बड़ा महत्व रहा है और विश्व इतिहास में रक्षाबंधन एक बहुत बड़ी पहचान रखती है । चलिए हम आपको बताते हैं कुछ ऐसी घटनाएं जो इतिहास में एक अलग ही पहचान रखती है ।

सिकंदर और राजा पुरु की घटना

एक महान ऐतिहासिक घटना के अनुसार 326 ई. पू. में जब सिकंदर ने भारत में प्रवेश किया तो सिकंदर की पत्नी रोशानक ने कैकेय के राजा पोरस को एक राखी भेजी । सिकंदर की पत्नी रोशानक ने उनसे यह वचन लिया कि आप सिकंदर पर कोई भी जानलेवा हमला नहीं करोगे । इसी को देखते हुए जब सिकंदर और कैकेय के राजा पोरस  के बीच युद्ध हुआ तब अपनी कलाई पर बंधी राखी को देखा तब कैकेय के राजा पोरस ने सिकंदर पर कोई भी जानलेवा  हमला नहीं किया ।

यह घटना भी इतिहास में एक बहुत बड़ी घटना मानी जाती है ।

सिखों और मुस्लिम आर्मी की घटना ( राखी प्रथा )

एक महान ऐतिहासिक घटना के अनुसार 18 वीं शताब्दी के दौरान सिख खालसा आर्मी के अरविन्द सिंह ने राखी नामक एक प्रथा की शुरुआत की , जिसके अनुसार सिख किसान अपनी उपज का छोटा सा हिस्सा मुस्लिम आर्मी को देते थे और इसके एवज में मुस्लिम आर्मी उन पर आक्रमण नहीं करते थे । यह घटना भी इतिहास में एक अलग ही पहचान रखती है ।

रविन्द्रनाथ टैगोर और 1905 का बंग भंग की घटना

एक महान ऐतिहासिक घटना के अनुसार जब अंग्रेज लोग भारत में अपना शासन बरकरार रखने के लिए ‘डिवाइड एंड रूल’  का इस्तेमाल करके भारत के लोगों में फूट डाल रहे थे और अपने शासक को बड़े ही आराम से चला रहे थे । उस समय रविंद्र नाथ टैगोर ने एक बहुत ही बड़ी चाल चली और रक्षाबंधन के त्यौहार को मनाना शुरू कर दिया जिससे कि उनके लोगों में एकता बनी रहे । जब वर्ष 1905 में बंगाल  में लोगों की एकता देखते हुए ब्रिटिश सरकार बंगाल को विभाजित तथा हिन्दू और मुस्लिमों में सांप्रदायिक फूट डालने की कोशिश कर कर रही थी ।

उस समय बंगाल में और हिन्दू मुस्लिम एकता बनाए रखने के लिए और देश भर में एकता का सन्देश देने के लिए रविंद्रनाथ टैगोर ने रक्षा बंधन का पर्व मनाना शुरू किया। इससे भारत में शांति बनी रही और अंग्रेजो को लगा कि वह अपनी चाल में कामयाब नहीं हो रहे हैं ।

साल 2024 में रक्षाबंधन ( Raksha bandhan 2024 Muhurat )

अगर हम बात करें कि साल 2024 में रक्षाबंधन कब है ?  तो आपको बता दूं कि 30 अगस्त 2024 को रक्षाबंधन का त्योहार है । इसके पहले 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस भी था (स्वतंत्रता दिवस हिंदी शायरी पढ़े )   । स्वतंत्रता दिवस  देश को आजादी दिलाने वाला दिन भी है । तो यह दोनों त्योहार बड़े ही हर्षोल्लासधूमधाम के साथ मनाए जाएंगे । आपको यह भी  बता दूं कि इस दिन सावन महीने की पूर्णिमा भी है क्योंकि सावन महीने की पूर्णिमा के दिन ही रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाता है ।

  • रक्षाबंधन तिथि- 30 अगस्त 2024, बुधबार ।
  • पूर्णिमा तिथि आरंभ- 30 अगस्त, सुबह 10:38 से।
  • पूर्णिमा तिथि की समाप्ति- 31 अगस्त. सुबह 07:05 तक।
  • शुभ मुहूर्त- 30 अगस्त को रात्रि 09: 01 से 31 अगस्त सुबह 07: 05 तक।
  • वैसे तू ऊपर दी गई जानकारी एकदम सटीक है। फिर भी अपने नजदीकी किसी पंडित जी से एक बार पूर्ण जानकारी प्राप्त कर लें

रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है ?

रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है ? इसके लिए आपको एक विधि का प्रयोग करना होगा और रक्षाबंधन मनाने की विधि बहुत ही सरल है । हमने आपको नीचे पूरी डिटेल में बताया है कि कैसे आप रक्षाबंधन मना सकते हैं ?

  1. सबसे पहले रक्षाबंधन के  दिन  पहले सुबह सुबह उठ कर नित्य कर्म से मुक्त होकर स्नान कर ले जब आप स्नान  कर ले उसके बाद नए वस्त्र धारण करें और अपने भाई के लिए ख़रीदी गयी राखी खोल कर एक पूजा की थाली में रख लें।
  2. थाली में  रखी के अलावा रोली, अक्षत, तिलक, कर्पूर, मिठाई आदि भी रख रखा रखा जा सकता है ।
  3. इसके बाद अपने भाई को पुर्व दिशा की और मुख करके  अपने सामने बिठा ले और तिलक लगाकर कलाई पर राखी बांधे और उसकी आरती उतारें । इसके बाद अपने भाई को  मिठाई खिलाएं।
  4. भाई इस समय अपनी बहन को उपहार दें । उपहार देना जरूरी है क्योंकि ये उपहार एक अनिवार्य नियम है और इन उपहारों में बहनों के लिए भाइयों की शुभकामनाएँ होती हैं । इसके साथ आप अपनी बहन को उसकी रक्षा करने का भी वचन दे सकते हैं और आपको यह वचन देना भी चाहिए ।

तो यह थी सारी जानकारी की रक्षाबंधन क्यों मनाते हैं ? रक्षाबंधन मनाने के पीछे क्या कारण है ?  रक्षाबंधन मनाने की पौराणिक और  ऐतिहासिक कहानी हमने आपको बताई । रक्षाबंधन 2023 में कब मनाया जाएगा ? इसका मुहूर्त क्या है ? इसके साथ रक्षाबंधन किस तरीके से मनाया जाता है ?  सारी जानकारी हमने आपको इस आर्टिकल के जरिए दे दी है । अब आपका एक छोटा सा कर्तव्य बनता है ।

वह यह कि इस जानकारी को अपने दोस्तों, रिश्तेदारों के साथ शेयर जरूर करें ताकि उनको भी सही जानकारी मिले । आशा करते हैं आज का यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा । अगर पसंद आया है तो कमेंट बॉक्स में हमें कमेंट करके जरूर बताइएगा । आपका हर दिन शुभ हो ! जय हिंद ! वंदे मातरम !

यह भी पढ़े –

Leave a Comment